सुन वो नोनी के दाई, आदमी

सुन वो नोनी के दाई,
जाड़ मे होगे बड़ करलाई,
छेना लकड़ ल अब तै सितावन झन दे,
गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे,
सिरतोन कहात हस नोनी के ददा,
जाड़ ह होगे बड़े जन सजा,
जाड़ के मारे पोटा ठीठुरगे,
डोकरी डोकरा मन जाड़ मे मरगे,
कथरी चद्दर ल जाड़ मे अब मड़ावन झन दे
गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे,
हु-हु करथे दाँत किटकीटागे,
कतको झन के परान उड़ागें,
स्वेटर चद्दर जम्मो ओढ़े,
कमरा कथरी सबो सिरागे,
जाड़ गजब हे, नोनी ल कोनो डाहर जावन झन दे,
गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे,
गोरसी, भुर्री के आंच ह जम्मो झन ल सुहाथे,
बईठे के जम्मो चारो मुड़ा, बड़ तापे के मजा उड़ाथे,
आसरा अऊ चिन्हारी हे ये गोरसी ह,
अब येला तै नंदावन झन दे,
गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे।

2.
आदमी आज धरती ले आसमान तक विकास करे हे,
धोती बंगाली ल जम्मो भुलागे, अब जींस टी शर्ट ल धरे हे,
ये सब ह इंकर मन के टेसन ये,
एक झन ल पुछेंव त बताइस, ये नवा जमाना के फेसन ये,
आज से 10-20 साल बाद जनमईया लईका मन,
माँ के अचरा बर तरसही,
आज के महतारी तो जींस पहीरथे त अचरा कहाँ ले लाही,
भले जहर खाय बर पईसा मत राहय,
फेर पाछु मे पाकीट दबाय हे,
बैलेंस राहय चाहे मत राहय फेर मोबाईल ल कान में टेकाय हे,
उही मोबाईल मे देखत ताहन, नवा नवा एनीमेशन हे,
उहु ल पुछेंव त बताइस, ये नवा जमाना के फेशन ये,
पहीली के मन आशिर्वाद ले त गोड़ मे गिर के पांव परे,
बड़े मन जेन कहाय तेला अपन फर्ज समझ के करय
आज के मन पांव परे के फार्मेलिटी निभाथे,
एक कन नवही अउ माड़ी तक मे काम चलाथे,
कहाँ नंदागे हमर संस्कृति ये कोन जमाना के जनरेशन ये
कोनो ल पुछबे त ईही बताही,ये नवा जमाना के फेशन ये,
एक दिन मेहा भट्ठी मे चार झन लईका मन ल देखेंव,
चार ठन पउवा मंगाय राहयच, खुर्सी मे बईठे सीकरेट ल जलाय राहय,
मैहा केहेंव मै सुने हंव मनखे ल टैसन रहीथे त पीथे, तुमन ल का बात के टेंसन हे,
त ओमो के एक झन कहीथै,
अतका ल नई जानस ग, ये नवा जमाना के फेसन ये।

धर्मेन्द्र डहरवाल मितान
ग्राम सोहागपुर जिला बेमेतरा
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